Home Uncategorized लालफीताशाही का शिकार हुए 1370 बच्चे, सीएम कोविड बाल सेवा योजना से...

लालफीताशाही का शिकार हुए 1370 बच्चे, सीएम कोविड बाल सेवा योजना से अबतक है वंचित

52
0

भोपाल

सरकारी कामकाज की लालफीताशाही का खामियाजा कोविड महामारी में अपने माता-पिता को गंवाकर अनाथ हो जाने वाले 1370 बच्चों को भुगतना पड़ा रहा है। संवेदनशील सीएम ने इन बच्चों को डेढ़ साल पहले मदद पहुंचाने का ऐलान किया था, लेकिन विभागीय ढीलपोल के कारण अभी तक उन 1370 बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। इसमें विभाग को अभी यही नहीं पता कौन बच्चा कहां और किस हाल में है।

प्रदेश में कोरोना महामारी से माता-पिता या दोनों खोने वाले 1370 बच्चे अनाथ हो गए है। सीएम कोविड बाल सेवा योजना के तहत इन्हें नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाना है। लेकिन शिक्षा विभाग के पास यह जानकारी ही नहीं है कि किस जिले के किस स्कूल में कितने ऐसे बच्चे अध्ययनरत है। इसके चलते महिला बाल विकास विभाग से बजट प्राप्त नहीं किया जा सका है। अब स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से इन बच्चों को ट्रेस कर जानकारी देने को कहा है।  कोरोना में माता-पिता खोने वाले बच्चे जो आरटीई से कवर नहीं है ऐसे कक्षा 9  से 12 तक के बच्चों के लिए सीएम कोविड बाल सेवा योजना के तहत महिला बाल विकास विभाग द्वारा  राशि प्रदान की जाना है। लेकिन अब तक शिक्षा विभाग को यह पता ही नहीं है कि कहां कितने ऐसे बच्चे अध्ययन कर रहे है।  

17 माह पहले टढ में शुरू हुई थी योजना
कोविड महामारी में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की शिक्षा, आर्थिक सहायता तथा खाद्य सुरक्षा के लिए प्रदेश के महिला बाल विकास विभाग ने पिछले वर्ष 21 मई 2021 को मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना शुरु की थी। इस योजना में कोविड से माता अथवा पिता या बच्चों के वैध अभिभावकों के निधन पर उन पर आश्रित 21 वर्ष से कम आयु के और स्नातक में अध्ययनरत 24 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए यह योजना शुरु की गई थी।

जिला अधिकारियों को तीन बार पत्र लिख चुका विभाग
स्कूल शिक्षा विभाग अब तक जिला शिक्षा अधिकारियों को तीन बार पत्र भेजकर यह जानकारी मांग चुका है। लेकिन जिलों से यह जानकारी ही नहीं भेजी जा रही है।  इसके चलते महिला बाल विकास विभाग की बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग बजट की मांग नहीं कर पा रहा है।  जो बच्चे सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत नहीं है उनके बारे में कलेक्टरों को जानकारी दी जाना है ताकि कलेक्टर के माध्यम से उनकी पढ़ाई की व्यवस्था हो सके।  सुप्रीम कोर्ट भी इसको लेकर सख्त है। हाईकोर्ट की समिति भी इसे रिव्यू कर रही है। वे इसे लगातार मानीटर कर रहे है। इसलिए  सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से इन्हें ट्रेस करने और उनकी जानकारी भेजने को कहा गया है। इसमें बच्चों का नाम, स्कूल, कक्षा की जानकारी जिलेवार मांगी गई है।

पूरा शिक्षा सत्र गुजरा, लेकिन विभाग अब तक नहीं खोज पाए  योजना के पात्र बच्चे
योजना का लाभ 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 के बीच मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी माता-पिता की कोविड से मृत्यु होने पर दिया जाना था। योजना में बाल हितग्राही को हर माह पांच हजार रुपए की आर्थिक सहायता, नि:शुल्क मासिक राशन, शासकीय विद्यालयों में नि:शुल्क शिक्षा, निजी स्कूलों के बच्चों की फीस दी जानी थी। निजी स्कूल के बच्चों को दस हजार रुपए प्रति वर्ष सहायता, इसके अलावा छात्रवृत्ति, उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क, मेस शुल्क दिया जाना था।  तकनीकी शिक्षा के लिए भी अलग-अलग प्रावधान किए गए थे। लेकिन योजना शुरु हुए सत्रह माह हो गए है और अभी तक स्कूलों में यह तय नहीं हो पाया है कि कितने बच्चों को इस योजना के तहत लाभ दिया जाना है।

Previous articleपाकिस्तान के खिलाफ मैच है बड़ा, रोहित शर्मा ने बताया कैसे मिलेगी जीत
Next articleअप्रवासी सम्मेलन में शामिल होने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इंदौर आ सकती है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here