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जीआईएस एसेट मैपिंग पोर्टल में होगा अनुपयोगी सम्पत्तियों का रिकार्ड

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भोपाल
प्रदेश के सरकारी महकमों, नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों के पास कौन-कौन सी अनुपयोगी सम्पत्ति मौजूद है इसकी पूरी कुंडली राज्य सरकार तैयार करेगी। इसके लिए एक स्टेट एसेट रजिस्टर तैया किया जा रहा है जिसमें एसेट मैपिंग पोर्टल के जरिए सारी अनुपयोगी सम्पत्ति की जानकारी एक जगह एकत्रित की जाएगी। इसके बाद इसका प्रबंधन और युक्तियुक्तकरण किया जाएगा।

राज्य शासन की अनुपयोगी परिसम्पत्तियों के प्रबंधन हेतु लोक परिसम्पत्ति विभाग का गठन किया गया है। विभाग द्वारा वाणिज्यीकरण योग्य परिसम्पत्तियों की जानकारी संकलित करने हेतु एक वेब पोर्टल का निर्माण करवाया जाकर पहले चरण में नगर निगम एवं नगर पालिका तथा दूसरे चरण में नगर परिषद के अंतर्गत आने वाली परिसम्पत्तियों के प्रबंधन एवं युक्तियुक्तकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही की जा रही है।

सूचना प्रौद्योगिकी एवं भौगोलिक( सूचना आईटी और जीआईएस) के माध्यम से राज्य की परिसम्पत्तियों का स्टेट एसेट रजिस्ट्रर तैयार किया जा रहा है। इसके लिए मैप आईटी ने एक जीआईएस एसेट मैपिंग पोर्टल तैयार किया है। इस पोर्टल पर विभागवार शासन की समस्त अचल परिसम्पत्तियों को दर्ज किया जाना है।  पोर्टल का लिंक लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग की वेबसाईट पर उपलब्ध है।

लोक परिसम्पत्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनिरुद्ध मुकर्जी ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिवों और मेप आईटी स्टेट आईटी सेंटर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि उनके विभाग और जिलों के अंतर्गत सभी अचल सम्पत्तियों की जानकारी पोर्टल पर दर्ज कराए जाने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी मैप आईटी यह सुनिश्चित करे कि विभाग एवं कलेक्टर के नोडल अधिकारी के पास अलग-अलग  लॉगइन आईडी एवं पासवर्ड उपलब्ध करवाया जाए नगर निगम, नगर पालिका अंतर्गत विभागीय लोक परिसम्पत्तियों का पोर्टल पर इंद्राज किए जाने के लिए अक्टूबर अंत तक की समयसीमा भी तय की गई है।

इधर विभागों ने नहीं किया सरकार के आदेश पर अमल
दूसरी ओर विभागों द्वारा सरकार के निर्देश पर अमल नहीं करने के मामले भी सामने आ रहे हैं। तीन माह पहले विभागीय परिसंपत्तियों की सामान्य मरम्मत एवं विशेष मरम्मत के संबंध में वित्त विभाग ने निर्देश जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि सामान्य मरम्मत में छोटे एवं कम तकनीकी महत्व के कार्य तथा छत की साधारण मरम्मत, पुताई, पेंट-पुट्टी कार्य, विद्युत फिटिंग, प्लंबर कार्य, साधारण सेनिटरी फिटिंग, दरवाजा-खिड़की मरम्मत और भवन के फर्श की लघु मरम्मत का कार्य शामिल होंगे।

विशेष मरम्मत के कार्य में अधिक तकनीकी के महत्व के कार्य जैसे भवन की वृहद मरम्मत, छत की मरम्मत और भवन के फर्श का नवीनीकरण आदि शामिल होंगे। विभागाध्यक्ष अपने प्रशासकीय नियंत्रण के अधीन प्रत्येक भवन के लिए भवन प्रभारी नियुक्त करेंगे। संबंधित भवन में पदस्थ वरिष्ठ अथवा अपने अधीन किसी अन्य कार्यालय के वरिष्ठ कर्मी को भवन प्रभारी नियुक्त करेंगे। भवन प्रभारी राज्य शासन की किसी भी सेवा श्रेणी अर्थात नियमित, कार्यभारित, संविदा मानदेय आदि पर कार्यरत हो सकता है। विभागाध्यक्ष इन भवनों के अनुरक्षण कार्य के लिए कार्यालय/भवन स्तर की पर्यवेक्षण समिति गठन करने के लिए भी निर्देश जारी करेंगे। इस पर अमल को लेकर कई विभागों ने कार्यवाही नहीं की है।

गैर-आवासीय भवन के कुल निर्मित क्षेत्रफल के आधार पर साधारण मरम्मत के लिए 335 रुपये प्रति वर्ग मीटर की अधिकतम सीमा होगी। यदि किसी भवन में विशेष मरम्मत की आवश्यकता है, इसके लिए अलग से आवंटन जारी करेंगे। साथ ही भवनों में मरम्मत की आवश्यकता को देखते हुए प्राथमिकता तय की जाएंगी।

38 संपत्तियां बेच चुकी है सरकार
लोक परिसंपत्ति विभाग के जरिये राज्य शासन अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में मौजूद 38 प्रापर्टी बेच चुका है। इन संपत्तियों की बिक्री को लेकर कांग्रेस विरोध भी कर चुकी है और विधानसभा में भी नेता प्रतिपक्ष गोविन्द सिंह यह मामला उठा चुके हैं। विधानसभा में दी गई जानकारी में सरकार ने स्वीकार किया है कि  जिलों में मौजूद भवनों, रिक्त भूखंडों की 38 प्रापर्टी बेचने की प्रक्रिया हो चुकी है और 100 से अधिक संपत्तियों की बिक्री की तैयारी है। ये संपत्तियां करोड़ों रुपए कीमत की है और शहरों के बीच मौजूद हैं जिन्हें अनुपयोगी बताकर सरकार इन्हें बेच रही है।

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