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पेसा एक्ट का पॉवर: आदिवासियों को मिलेगा उनके गृह क्षेत्र में खुद फैसले लेने का अधिकार

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भोपाल
प्रदेश की साढ़े पांच हजार आदिवासी बहुल पंचायतों को पेसा एक्ट में अनुसूचित किए जाने की सरकार की तैयारी के बीच पंचायतों से इतर बनने वाली ग्राम सभाओं के पावर में बढ़ोतरी होने वाली है। सरकार इसके जरिये आदिवासियों की परम्परागत जीवन शैली में दखल कम करने के साथ उन्हें अपने फैसले खुद लेने का अधिकार देने जा रही है। चुनावी साल में राजनीतिक नजरिये से लिए गए फैसले से सरकार को उम्मीद है कि आदिवासी वर्ग इसके बाद खुलकर भाजपा सरकार की नीतियों को पसंद करेगा।

राज्य सरकार आगामी विधानसभा के पहले आदिवासियों को उनके गृह क्षेत्र में खुद फैसले लेने के अधिकार देने जा रही है। पेसा एक्ट के जरिये दिए जाने वाले इन अधिकारों में आदिवासी गांवों को हेल्थ सेंटर, आंगनबाड़ी, स्कूलों के निरीक्षण के अधिकार दिए जाएंगे। इसके साथ ही ये अपने क्षेत्रों में बाजारों और मेलों की व्यवस्था पर भी नियंत्रण कर सकेंगे। ग्राम पंचायत द्वारा कोई भी योजना तभी मंजूर हो सकेगी जब आदिवासी क्षेत्र की ग्राम सभा का अनुमोदन उसे मिल गया हो।

प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में पेसा एक्ट लागू करने जा रही सरकार ऐसे क्षेत्रों में बनने वाली ग्राम सभाओं को भारी भरकम अधिकार देने जा रही है। ऐसे क्षेत्रों में साहूकारी लाइसेंस जारी करने वाला अधिकारी लाइसेंस की एक कॉपी ग्राम पंचायत को देगा और पंचायत उससे ग्राम सभा को अवगत कराएगी। साहूकार की यह जिम्मेदारी होगी कि वह दिए गए या चुकाए गए ऋण का ग्राम वार विवरण एसडीओ रेवेन्यू को हर तीन माह में दे। ग्राम सभा को यह अधिकार होगा कि वह साहूकार के विरुद्ध आने वाली शिकायत पर निर्णय लेकर एसडीओ रेवेन्यू को कार्यवाही के लिए अनुशंसा कर सके। इस मामले में एसडीओ रेवेन्यू जांच के बाद कार्यवाही की सूचना 145 दिन के भीतर ग्राम सभा को देगा।

पेसा एक्ट के प्रस्तावित ड्राफ्ट में ये प्रस्ताव दिए गए हैं जिसे लागू करने के पूर्व सुझाव मांगे गए हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि ग्राम सभा सामाजिक और स्थानीय अंकेक्षण योजनाओं जैसे स्कूल, छात्रावास, आंगनबाड़ी का समय समय पर निरीक्षण कर सकेगी। इसके लिए एडहाक कमेटी बनेगी जो ग्राम सभा को निरीक्षण रिपोर्ट देगी। इसमें पालक शिक्षक संघ का एक सदस्य जरूरी होगा और महिला सदस्य होना भी जरूरी होगा। ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्तावित कार्ययोजना पर ग्राम सभा से अनुमोदन लेना भी अनिवार्य किया गया है।

गांव से बाहर काम करने वालों को देना होगी डिटेल
प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि गांव से बाहर काम करने वाले सभी व्यक्ति किए जाने वाले काम और उसकी शर्तों की पूरी जानकारी ग्राम सभा को देंगे और इसका रिकार्ड भी मेंटेन किया जाएगा। जो जल संसाधन एक ग्रामसभा की सीमा के भीतर हो, ऐसे जल संसाधन या निकाय के विषय में सभी तरह के निर्णय पंचायतों के लिए मानाना जरूरी होगा। सिंचाई प्रबंधन के लिए 40 हेक्टेयर तक की सिंचाई क्षमता के प्रबंधन का अधिकारी पंचायत को होगा।

स्थानीय समुदायों की रुढ़ियों और परंपराओं को क्षति पहुंचाने वाले कामों का समर्थन नहीं
 ग्राम सभा किसी भी ऐसे काम का समर्थन नहीं करेगी जो क्षेत्र मेें निवास कर रही जनजातियों तथा अन्य स्थानीय समुदायों की रुढ़ियों एवं परंपराओं को क्षति पहुंचाए। ग्राम सभा ऐसा कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं करेगी जो उस समय प्रवृत्त प्रचलित विधि के विरुद्ध हो। ग्राम सभा ऐसी किसी भी गतिविधि का समर्थन नहीं करेगी जो कि विविध सामाजिक समूहों के बीच द्वेष या शत्रुभाव को बढ़ावा देती हो या जिससे सामाजिक सौहार्द और भाईचारा कम होता हो। ग्राम सभा किसी भी शासकीय अधिकारी की विधि सम्मत गतिविधियों में किसी भी प्रकार का निषेध या बाधा उत्पन्न नहीं करेगी।

काम कराने वाले को स्थानीय भाषा में देना होगी जानकारी
ड्राफ्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में चलने वाले कामों के मामले में ग्राम सभा यह तय कर सकेगी कि जो काम कराया जा रहा है उसकी जानकारी स्थानीय भाषा में ही दी जाए और काम की क्वालिटी और गुणवत्ता बनी रहे। प्रस्ताव में कहा गया है कि पेसा एक्ट के प्रावधान लागू किए जाने के बाद जो भी विभाग इससे संबंधित संशोधन कराना चाहेंगे वे एक साल के भीतर राज्यपाल को इसकी जानकारी देंगे। ग्राम सभा को खनिज और वन से संबंधित भी कई अधिकार दिए गए हैं।

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