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एम.पी. ट्रांसको चलाएगी ‘रोको-टोको‘ अभियान

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इंदौर की ट्रांसमिशन लाइनों में चायनीज मांझा फँसने से दो वर्षों में 13 बार बिजली बाधित

भोपाल 
मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) ने इंदौर शहर में ट्रांसमिशन लाइनों के नजदीक चायनीज मांझे से पतंग उड़ाने के कारण उत्पन्न होने वाली संभावित दुर्घटनाओं और विद्युत व्यवधानों पर अंकुश लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन्हें सतर्क व सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कंपनी इंदौर में विशेष ‘‘रोको-टोको ‘‘ अभियान चलाएगी।

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एम.पी. ट्रांसको की कार्यपालन अभियंता श्रीमती नमृता जैन ने जानकारी दी कि पिछले दो वर्षों में इंदौर क्षेत्र में 13 बार ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब पतंग के साथ चायनीज मांझा ट्रांसमिशन लाइन के संपर्क में आया, जिससे न केवल बिजली आपूर्ति बाधित हुई, बल्कि ट्रांसमिशन लाइनें क्षतिग्रस्त भी हुईं।

चलाया जायेगा जागरूकता अभियान
रोको-टोको अभियान के तहत, एम.पी. ट्रांसको ने इंदौर के उन क्षेत्रों को चिन्हित किया है जहाँ बहुतायत में पतंग उड़ाई जाती हैं। इन संवेदनशील क्षेत्रों में नागरिकों से व्यक्तिगत संपर्क स्थापित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, व्यापक जागरूकता फैलाने के लिए पोस्टर, बैनर और पी.ए. सिस्टम के माध्यम से भी लोगों को सचेत और सतर्क किया जाएगा, ताकि जान-माल की हानि रोकी जा सके और उपभोक्ताओं को व्यापक क्षेत्र में बिजली के अनावश्यक लंबे व्यवधान का सामना न करना पड़े।

क्यों घातक है चायनीज मांझा
दरअसल, चायनीज मांझा, जो कि सामान्य सूती धागे से अलग होता है, विद्युत का सुचालक होने के कारण बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। ट्रांसमिशन लाइनों के संपर्क में आने पर यह न केवल बिजली आपूर्ति में व्यवधान डालता है, बल्कि जान-माल की हानि का कारण भी बन सकता है। जब यह मांझा बिजली के तारों से टकराता है, तो इसमें मौजूद सामग्री के कारण करंट प्रवाहित हो सकता है, जिससे पतंग उड़ाने वाले और आसपास के लोगों को गंभीर खतरा होता है।

इंदौर में ये क्षेत्र है संवेदनशील
इंदौर में जिन क्षेत्रों को चायनीज मांझा के साथ पतंग उड़ाने के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील माना गया है, उनमें मुख्य रूप से लिम्बोदी, मूसाखेड़ी, खजराना, महालक्ष्मी नगर, सुखलिया, गौरीनगर, बाणगंगा, तेजाजी नगर और नेमावर रोड शामिल हैं। इन क्षेत्रों में अभियान पर विशेष जोर रहेगा। 

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