Home देश 75 घंटों का किसानों का लखीमपुर महापड़ाव 18 से 21 अगस्त तक

75 घंटों का किसानों का लखीमपुर महापड़ाव 18 से 21 अगस्त तक

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यूपी के सभी जिलों के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत 20 से अधिक राज्यों से किसान लखीमपुर मंडी में जुटेंगे।
नई दिल्ली
एसकेएम यूपी की राज्य समिति की आनलाइन बैठक में लखीमपुर में 18 अगस्त से 21 अगस्त तक होने वाले महापड़ाव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। तैयारी समिति की रिपोर्ट के अनुसार लखीमपुर मंडी में महापड़ाव की तैयारियां पूरी हो चुकी है। बाहर से आने वाले किसानों के लिए लंगर और ठहरने की पर्याप्त व्यवस्था 17 अगस्त से रहेगी। बाहर से आने वाले किसानों के लिए लखीमपुर पहुँचने से पहले ठहराव रेलवे स्टेशन सीतापुर में लंगर की व्यवस्था की गई है।

18 अगस्त को सुबह 10 बजे से लगातार 75 घंटों तक चलने वाले इस महापड़ाव के जरिए किसान सरकार की वादाखिलाफी और किसानों के प्रति सरकार बदले की भावना प्रेरित कार्यवाहियों की ओर देश का ध्यान आकर्षित करेंगें। 21 अगस्त को धरने का समापन होगा।

धरने के दौरान सरकार के समक्ष मांगें दोहरायी जाएंगी-

  • लखीमपुर खीरी जिला के तिकोणिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या करने की साजिश रचने के मामले में दोषी केन्द्रीय गृह  राज्य मंत्री अजय मिश्र टैनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए।
  • लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जो किसानों को निर्दोष होते हुए भी जेल में बंद किया है उनको तुरन्त रिहा किया जाए और उनके ऊपर मढ़े केस तुरन्त वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने सरकार वादा पूरा करे।
  • सभी फसलों के ऊपर स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के आधार पर सी-2 +50% के फार्मूले से एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए और केन्द्र सरकार द्वारा एम एसपी पर गठित किसान विरोधी कमेटी को रद्द करते हुए सभी फसलों की बिकवाली एमएसपी पर होने की निगरानी के लिए समिति का गठन दोबारा हो।
  • किसान आन्दोलन के दौरान केन्द्र शासित प्रदेशों व अन्य राज्यों में जो केस किसानों के ऊपर लादे गए, सभी तुरंत  वापस लिए जाएं।
  • जनविरोधी बिजली बिल 2022 वापस लिया जाए।
  • भारत के सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज समाप्त करते हुए उन्हें ऋणमुक्त किया जाए।
  • उत्तर प्रदेश की सभी गन्ना मिलों की तरफ किसानों की बकाया राशि तुरंत जारी की जाए।
  • वर्षों से जंगल को आबाद कर  देश के विभिन्न प्रांतों से आए लखीमपुर एवं अन्य जनपदों से आकर बसे किसानों यहाँ तक कि मूलनिवासियों को ज़मीन से बेदख़ल करने के नोटिस देने बंद किए जाएं।
  • बैठक के दौरान उपस्थित किसान नेताओं ने देश भर के किसान-मजदूरों से लखीमपुर महापड़ाव में अधिकाधिक संख्या में पहुँचने अपील जारी की है।

बैठक में केन्द्रीय समन्वय समिति के डा. दर्शन पाल के अलावा जय किसान आन्दोलन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक लांबा, भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल शर्मा, किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष भारत सिंह, प्रांतीय सचिव मुकुट सिंह, तराई किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तजिन्दर सिंह विर्क, प्रोग्रेसिव फार्मर फ्रंट के गुरमनीत सिंह मांगट, क्रांतिकारी किसान यूनियन के शशिकांत, भाकियू तराई क्षेत्र प्रभारी बलजिन्दर सिंह मान, भाकियू लखीमपुर जिलाध्यक्ष दिलबाग सिंह, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रांतीय सचिव विमल त्रिवेदी, संगतिन किसान मजदूर संगठन से ऋचा सिंह, मजदूर किसान एकता मंच से राजेश आजाद एवं एस बी आजाद, पिन्दरसिंह सिद्धू, जनवादी किसान सभा के रजनीश भारती, किसान विकास मंच के राम अवध , बलवन्त यादव आदि प्रमुख किसान नेता शामिल रहे।

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