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सीएम शिवराज सिंह ने पंडित अटल बिहारी वाजपेयी को दी श्रद्धांजलि, किया भावुक ट्वीट

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भोपाल/ग्वालियर
25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे भूतपूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी 16 अगस्त 2018 को दुनिया छोड़ गए, वो लंबी बीमारी से ग्रसित थे, पर वो आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. पक्ष से लेकर विपक्ष तक गाहे-बगाहे उन्हें याद करता रहता है. अटल जी प्रखर वक्ता के साथ-साथ कवि भी थे, उनकी कविताएं जीवन को प्रेरणा देती हैं. सीएम शिवराज सिंह ने श्रद्धांजलि दी है.

भूतपूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज चौथी पुण्यतिथि है,आज ही के दिन साल 2018 को उन्होंने लंबी बीमारी के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया था. अटल बिहारी वाजपेई यह एक नाम मात्र नहीं है, बल्कि खुद में एक युग, राजनीति का एक दौर और एक संस्कृति है. अटलजी जितने ओजस्वी राजनेता थे उतने ही प्रभावी कवि भी थे. उनकी कविता आज भी जीवन के मूल्यों को संजोए हुए है. अटलजी ने अपने जीवन की पहली कविता पन्द्रह अगस्त का दिन कहता है, आजादी अभी अधूरी है, 15 अगस्त 1947 के दिन ही कानपुर डीएवी कॉलेज के छात्रावास के कमरा नंबर 104 में लिखी थी.

 

लाल किले पर भाषण देने का कई बार मिला मौका

25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्मे भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेयी का एमपी से बेहद लगाव रहा, जबकि उनकी उच्च शिक्षा कानपुर में हुई और उत्तर प्रदेश को ही उन्होंने अपना कर्मक्षेत्र बनाया था. अटल बिहार वाजपेयी ने लाल किले की प्राचीर से देश को छह बार संबोधित किया था. वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी नेता थे, जिसे लाल किले से इतनी बार भाषण देने का मौका मिला था. उनके भाषण में नाटकीयता और लंबे अंतराल के बीच कविताओं की पंक्ति उसे शानदार बना देती थी. सीएम शिवराज सिंह ने श्रद्धांजलि दी है.

प्रखर वक्ता के साथ ही कवि थे अटल
जब पहली बार लाल किले से वाजपेयी का भाषण हुआ था, उस वक्त उनके सुनने वालों का वहां पर तांता लग गया था. वाजपेयी से देश को बहुत सारी उम्मीदें थीं. 15 अगस्त 1998 को अटलजी ने पहली बार लाल किले की प्राचीर से अपना भाषण दिया था. 11 और 13 मई को पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण की धमक उनके भाषण में साफ सुनाई पड़ी थी. वाजपेयी ने अपने पहले ही भाषण में भारत के बदलते हुए तेवर की झलक दे दी थी. अटल जी प्रखर वक्ता के साथ ही कवि भी थे, उनकी आज भी सियासत में मिसालें दी जाती हैं.

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