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जब डरना छोड़ देंगे, तब अखंड भारत होगा ,भारत अहिंसा का पुजारी है, दुर्बलता का नहीं : मोहन भागवत

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नागपुर

भारत अहिंसा का पुजारी है, दुर्बलता का पुजारी नहीं. अखंड भारत की बात करते हैं तो लोग डर जाते हैं. बोलते हैं, कब होगा. जब डरना छोड़ देंगे, तब अखंड भारत होगा. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने आज रविवार को नागपुर में आयोजित उतिष्ठ भारत कार्यक्रम में यह बात कही.

भागवत ने कहा कि हमने ही जात-पात की खाई बनाई है. छोटे अहंकार की साजिश करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि विविधता के प्रबंधन के लिए दुनिया भारत की ओर देखती है. भागवत ने कहा कि टाटा के पीछे विवेकानंद की प्रेरणा थी. शक्ति का थोड़ा अवतरण चीन में हुआ, दुनिया में क्या-क्या कर रहा है, ये हम देख सकते हैं.

उन्होंने कहा कि भारत अहिंसा का पुजारी है, दुर्बलता का पुजारी नहीं है. उन्होंने कहा कि अखंड भारत की बात करते हैं तो लोग डर जाते हैं. बोलते हैं- कब होगा. जब डरना छोड़ देंगे, तब अखंड भारत होगा.

उन्होंने कहा कि हमको इस देश में स्वच्छता अभियान चलाना पड़ता है. इसके बाद भी सड़क के दोनों ओर कचरा फैला रहता हैं. समस्या होती है तो गुहार लगानी होती है लेकिन इसके लिए बसें क्यों जलाना? हम अपनी बात करने के लिए शत्रु को सामने क्यों खड़ा करते हैं.

मोहन भागवत ने ‘भारत@2047: माई विजन माई एक्शन’ पर कहा, पूरी दुनिया विविधता के प्रबंधन के लिए भारत की ओर देख रही है। उन्होंने कहा, जब विविधता को कुशलता से प्रबंधित करने की बात आती है तो दुनिया भारत की ओर इशारा करती है। दुनिया विरोधाभासों से भरी है, लेकिन प्रबंधन केवल भारत ही कर सकता है।

मतभेद पैदा करने के लिए जातियों की खाईं बनाई गई

संघ प्रमुख ने कहा, ऐसी कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं जो हमें कभी नहीं बताई गईं और न ही सही तरीके से सिखाई गईं। उन्होंने कहा, जिस स्थान पर संस्कृत व्याकरण का जन्म हुआ वह भारत में नहीं है। क्या हमने कभी एक सवाल पूछा क्यों? उन्होंने कहा, हम पहले ही अपने ज्ञान को भूल गए थे, बाद में विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारी भूमि पर कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा, हममें मतभेद पैदा करने के लिए अनावश्यक रूप से जातियों की खाईं बनाई गई।

हम अहिंसा के पुजारी हैं, दुर्बलता के नहीं

मोहन भागवत ने कहा, भारत को बड़ा बनाना है। इसके लिए हमें डरना छोड़ना होगा। कहा, डरना छोड़ेंगे तो भारत अखंड होगा। हम अहिंसा के पुजारी जरूर हैं, लेकिन दुर्बलता के नहीं। उन्होंने कहा, भाषा, पहनावे, संस्कृतियों में हमारे बीच छोटे अंतर हैं, लेकिन हमें इन चीजों में नहीं फंसना चाहिए। उन्होंने कहा, देश की सभी भाषाएं राष्ट्रभाषाएं हैं, विभिन्न जातियों के सभी लोग मेरे हैं, हमें ऐसा स्नेह रखने की जरूरत है।

विभाजन में जान गंवाने वालों को पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभाजन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों को रविवार को श्रद्धांजलि दी। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने कहा, मैं विभाजन के दौरान जान गंवाने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देता हूं। उस दुखद काल के पीड़ितों के धैर्य और सहनशीलता की सराहना करता हूं। बता दें, 1947 में विभाजन के दौरान हुए साम्प्रदायिक दंगों में लाखों लोग विस्थापित हुए थे और बडी संख्या में लोग मारे गए थे।

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