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वैज्ञानिकों ने चेताया, स्पैनिश फ्लू महामारी की तरह कोरोना की दूसरी लहर भी हो सकती है घातक

नई दिल्ली
स्पैनिश फ्लू महामारी की तरह कोरोना की दूसरी लहर भी घातक हो सकती है। दोनों महामारियों की तुलना के बाद वैज्ञानिकों का मानना है कि इनमें कई समानताएं हैं। दोनों सांस की बीमारियों से जुड़ी हुई हैं। एक जैसी संक्रामक हैं व फ्लू की तरह कोरोना में भी नहीं पता कि महामारी का प्रसार कैसे व कितनी तेजी से हो रहा है। स्पैनिश फ्लू से मई 1918 में पहली मौत हुई थी लेकिन कुछ ही दिनों में इसकी पहली लहर खत्म हो गई। सरकारें थोड़ी ढीली हुईं तो साल के अंत में इसकी दूसरी लहर ने तबाही मचा दी। 1918 के वसंत से 1919 की सर्दियों तक दुनियाभर में करीब दस करोड़ लोगों की इसकी वजह से जान गंवानी पड़ी। अकेले अमेरिका में छह लाख 75 हजार लोगों की मौत हो गई थी। भारत में कम से कम एक करोड़ 20 लाख लोगों ने जान गवाईं थी। तब ब्रिटिश सरकार ने बहुत से स्थानीय और जातिगत संगठनों को साथ लेकर इस पर काबू पाया था। महामारी रोग विशेषज्ञ व 'इन्फ्लुएंजा' पुस्तक के लेखकर डॉ. जेरेमी ब्राउन ने इसे कई सदियों की सबसे बड़ी महामारी बताया। कहा, यह सिर्फ कुछ संख्या है। वास्तव में स्थिति और भयावह थी। कोरोना महामारी में भी कुछ वैसे ही हालात बन रहे हैं। यूरोप, अमेरिका व एशिया के कई देशों में दूसरी लहर का प्रकोप साफ नजर आ रहा है।
वैज्ञानिकों को डर क्यों
1. सर्दियों में ज्यादा संक्रामक
दूसरे कोरोना वायरस का भी सर्दियों में ज्यादा प्रसार देखा गया है। यूरोपीय देशों में सर्दियां बढ़ने के साथ संक्रमण का तेज होना इसकी पुष्टि करता है। फ्लू महामारी भी सर्दियों की वजह से ज्यादा फैली व ज्यादा तबाही मचाया।
2. हवा में देर तक टिकता वायरस
ठंड के मौसम में आद्र हवा में संक्रमित कण ज्यादा देर तक हवा में सक्रिय रहते हैं। इससे ज्यादा लोग वायरस की चपेट में आकर बीमार पड़ते हैं। कोरोना वायरस के भी हवा से फैलने की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पुष्टि की है।
3. सूख जाती नाक की झिल्ली
सर्दियों में नाक की झिल्ली सूख जाती है व संक्रमण से मुकाबला करने के लिए कमजोर पड़ने लगती है। इसलिए जब भी वायरस हमला करता है तो वह बचाव नहीं कर पाती। इससे तेजी से संक्रमण फैलता है।
4. वेंटिलेशन की कमी कारण
ठंड बढ़ने के साथ ज्यादातर लोग घरों में रहेंगे व पर्याप्त वेंटिलेशन के बिना घर के अंदर ज्यादा समय बिताएंगे। इसकी वजह से संक्रमण बढ़ने की संभावना ज्यादा है। कई अध्ययनों से भी इस बात की पुष्टि होती है।
क्या करना चाहिए
– एक जगह बड़ी संख्या में जमा होने से बचें, यानी सामाजिक दूरी का ख्याल रखें
– यात्रा करने से बचना चाहिए, ज्यादा यात्रा का मतलब संक्रमण के ज्यादा करीब
– बार-बार हाथ धोना और मास्क पहनना अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाएं
समानताएं-असमानताएं
1. फ्लू भी कोरोना की तरह सांस संबंधी बीमारी थी, उसमें भी प्रसार का सही तरीका पता नहीं चल पा रहा था
2. कोविड के निशाने पर ज्यादातर बुजुर्ग हैं जबकि फ्लू में ज्यादातर 20-30 साल की उम्र के निशाने पर थे
3. फ्लू भी छूने-हाथ मिलाने, गले मिलने से फैलता था जबकि कोरोना वायरस के प्रसार का भी यही तरीका है
4. तब भी सरकारों ने सलाह दी थी कि बीमार लोग घर पर ही रहें और ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें
5. 1918 में इन्फ्लूएंजा का इलाज नहीं था, निमोनिया का भी इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक्स नहीं थी, आज है
6. तब भी मास्क न पहनने और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर लगाया था भारी जुर्माना, स्कूल करने पड़े थे बंद
तब और अब में क्या अंतर
तब वायरस के व्यवहार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। टीका विकसित होने में काफी समय लग गया था क्योंकि दुनिया तकनीकी रूप से इतनी दक्ष नहीं थी। टेस्टिंग के लिए इतने संसाधन नहीं थे। कुछ देशों को छोड़ दें तो स्वास्थ्य सुविधाएं भी काफी बदहाल स्थिति में थीं। कई देशों में आधुनिक अस्पताल तक नहीं थे। दुनिया विश्व युद्ध से जूझ रही थी लेकिन आज कुछ भी ऐसा नहीं है। दुनिया सबसे जल्द टीका बनाने की ओर है। रोज टेस्टिंग की नई तकनीक विकसित की जा रही हैं। लोग भी पहले के मुकाबले ज्यादा सतर्क हैं। अस्पताल भी आधुनिक हो गए हैं।
देश में दूसरी लहर को लेकर क्या हैं दावे
1. आईसीएमआर प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव के मुताबिक, यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर दिखाई देगी या नहीं। हालांकि उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि देश की विभिन्न भौगोलिक स्थितियों के चलते अलग-अलग समय पर संक्रमण की छोटी लहरें आ सकती हैं।
2. कोरोना वैक्सीन के लिए बने राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के प्रमुख वीके पॉल का कहना था कि नए केस घटने से सर्दियों में दूसरी लहर की आशंका खत्म नहीं हुई है। उनका कहना था कि अब भी केरल, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और तीन से चार केंद्रशासित प्रदेशों में नए केस बढ़ते जा रहे हैं।
3. दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने दावा किया कि देश में संक्रमण के मामले कम हुए हैं जबकि दिल्ली ये बढ़े हैं। ऐसे में उन्होंने कहा कि जब जरूरी हो तभी घर से बाहर निकले। उनका मानना है कि जिस तरह से दिल्ली में केस बढ़े हैं, ऐसे में देश के बाकी हिस्सों में एक और लहर आ सकती है।