मध्य प्रदेशराज्य
दल बदल कर BJP में आए 25 पूर्व विधायकों को वोटों का अंतर पाटना बड़ी चुनौती

भोपाल
भाजपा उम्मीदवारों को जीत के लिए खुद को पिछले चुनाव में भाजपा से ज्यादा मिले वोटों का अंतर पाटना बड़ी चुनौती हो सकता है। यह अंतर छोटा नहीं बल्कि सवा चार लाख वोटों से ज्यादा का है। इतने वोटों से तब यही उम्मीदवार बतौर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीते थे। पिछले चुनाव में मिली जीत के मतों के अंतर को कायम रखना इन उम्मीदवारों के लिए फिलहास किसी चुनौती से कम नहीं है। गौरतलब है कि प्रदेश में 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में से 25 उन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जहां कांग्रेस विधायक ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर अब चुनाव लड़ रहे हैं।
कांग्रेस छोड़कर अब भाजपा के उम्मीदवार बने, उनमें से सबसे छोटी जीत सुवासरा से हरदीप सिंह डंग की थी। वे महज 350 वोटों से जीते थे। वहीं मांधाता से नारायण पटेल पिछले चुनाव में 1236 वोट से जीते थे। नेपानगर में भी सुमित्रादेवी कास्डेकर ने भाजपा की मंजू राजेंद्र दादू को 1256 वोट से हराया था। इन तीनों को जीत के अंतर को लेकर सबसे कम चुनौती है।
बमौरी से महेंद्र सिंह सिसोदिया की जीत का अंदर 27 हजार 920 का था। इसी तरह मेहगांव से ओपीएस भदौरिया की जीत का अंतर 25 हजार से ज्यादा वोटों का था। गोहद से रणवीर जाटव लगभग 24 हजार वोटों से जीते थे। इसी तरह ग्वालियर से प्रद्युम्न सिंह तोमर 21044 वोटों के अंतर से जीते थे। मुरैना से रघुराज सिंह कंसाना 20 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीते थे। दिमनी में गिर्राज दंडौतिया की जीत का अंतर 18 हजार 477वोटों का था। वहीं ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल 17 हजार 819 वोटों से जीते थे। बड़ा मलहरा से प्रद्युम्न सिंह लोधी की कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 15 हजार 779 वोटों से हुई थी। करैरा से जसमंत जाटव लगभग 15 हजार वोटों से जीते थे। सुमावली से एंदल सिंह कंसाना 13 हजार 313 वोटों से जीते थे।
कांग्रेस से भाजपा में जाकर उम्मीदवार बने 25 नेताओं में से सबसे बड़ी जीत इमरती देवी की थी। डबरा से बतौर कांग्रेस उम्मीदवार इमरती देवी ने भाजपा उम्मीदवार कप्तान सिंह को 57 हजार 446 वोटों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में इमरती देवी को 90 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। जबकि भाजपा उम्मीदवार को महज 33 हजार वोट मिले थे। इसी तरह बदनावर सीट से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने भाजपा उम्मीदवार भंवर सिंह शेखावत को 41 हजार 506 वोटों से हराया था। दत्तीगांव को 84 हजार 499 वोट मिले थे, जबकि शेखावत को महत 42 हजार 993 वोट मिले थे। भांडेर से तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार और अब भाजपा उम्मीदवार रक्षा संतराम सरोनिया ने पिछला चुनाव 39 हजार 896 वोटों से जीता था।