आठ पुलिसवालों को शहीद कर इलाके में ही बेखौफ बैठा था विकास दुबे

लखनऊ
2/3 जुलाई 2020 की रात कानपुर के बिकरू में नरसंहार के बाद विकास दुबे आखिर कहां गायब हो गया था? एसटीएफ ने आठ महीने बाद पूरी कहानी की परतें उधेड़ ली हैं। उसके पनाहदाताओं को दबोच कर पूरी कहानी उगलवा ली है। इसके मुताबिक आठ पुलिसवालों के कत्ल के बाद विकास दुबे बिकरू से कुछ किमी दूर छिपा था। वह पहले शिवली पहुंचा। वहां से रसूलाबाद में एक घर के बेसमेंट में पनाह ली। तीन दिन इलाके में ही काटे। इस दौरान वह लगातार अखबार पढ़ता रहा। टीवी चैनलों पर अपनी करतूतें भी देखता रहा। खबरों के आधार पर ही उसने फरारी का प्लान भी बनाया।
शूटर के दोस्त ने दी पहली पनाह
पूछताछ में एसटीएफ को पता चला कि विष्णु कश्यप विकास के गुर्गे प्रभात मिश्रा (एनकाउंटर में मारा गया) का बचपन का दोस्त था। 3 जुलाई की रात 3:04 बजे प्रभात ने विष्णु को फोन कर शिवली में पांडु नदी पुल के पास बुलाया। उस वक्त विष्णु को घटना के बारे में जानकारी नहीं थी। प्रभात भी वहां अकेला खड़ा था। प्रभात से मुलाकात के बाद उसने बिकरू में हुई घटना की जानकारी दी। साथ ही उसे कार, तीन गमछे और पानी की बोतलों का इंतजाम करने के लिए कहा। विष्णु बाइक से वापस शिवली चला गया और मित्र छोटू की स्विफ्ट डिजायर कार लेकर शिवली रोड स्थित कैलई रोड तिराहा पहुंचा। पुल के पास से विकास दुबे, प्रभात और अमर कैलई रोड तिराहा पहुंचे और छिप गए। जब विष्णु कार लेकर पहुंचा तो तीनों झाडि़यों से निकलकर कार में सवार हो गए। विष्णु उन्हें लेकर सीधे तुलसीनगर रसूलाबाद निवासी अपने बहनोई रामजी उर्फ राधे के घर ले गया। उसके बाद छोटू अपनी कार लेकर वापस चला आया।