
रायपुर
भारत सरकार और एफडीआई पालिसी एवं विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) की विभिन्न गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने के लिए अमेजन पर आरोप लगाते हुए और भारत में मल्टी ब्रांड रिटेल गतिविधियों के संचालन के लिए सरकार की अनिवार्य अनुमति नहीं मांगने पर कॉन्फेडरेशन आॅफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को आज भेजे गए एक पत्र में विभिन्न कानूनों के उल्लंघन के लिए अमेजॅन के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करने की मांग की एवं अमेजॅन पर अधिकतम जुमार्ना लगाने और विभिन्न नियमों के तहत अन्य आवश्यक कार्रवाइयों करने का भी आग्रह किया। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, प्रवर्तन निदेशालय, भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी को भी इसी तरह का पत्र भेजा है और अमेजॅन के खिलाफ कार्यवाही और उनके अधिकार में विभिन्न कानूनों के अंतर्गत अमेजन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग भी की।
कन्फेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, प्रवक्ता राजकुमार राठी ने कहा कि सार्वजनिक रूप में उपलब्ध विभिन्न दस्तावेज बताते हैं कि अमेजॅन ने लगभग अमेजॅन इंडिया में 35,000 करोड़ रुपये जो ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस है लेकिन वास्तव में अप्रत्यक्ष रूप से जिसके जरिये मल्टी-ब्रांड खुदरा व्यापार हो रहा है , लगभग 4200 करोड़ रुपये मोर रिटेल लिमिटेड (एक मल्टी-ब्रांड रिटेल कंपनी) में जिसे समारा कैपिटल के वैकल्पिक निवेश के जरिये अमेजन नियंत्रित करता है। उधर दूसरी और अमेजन ने फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड में 1,430 करोड़ रुपये निवेश किये और फ्यूचर कूपन लेकिन वास्तव में फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एक बहु-ब्रांड खुदरा कंपनी) में एक नियंत्रित निवेश किया। उपरोक्त सभी निवेश फेमा नियमों और विनियमों का उल्लंघन कर रहे है जिसके लिए कैट ने सरकार से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है।
पारवानी ने कहा की कानून का एक मूलभूत सिद्धांत है जिसके कि जो कार्य सीधे तौर पर किया जाना प्रतिबंधित है वह अप्रत्यक्ष रूप से भी नहीं किया जा सकता है, लेकिन कानून और नियमों को एक तरफ फेंकने में माहिर अमेजन ने कभी भी सौदा होने के बाद सरकार और अन्य सम्बंधित अधिकारियों को कभी यह खुलासा नहीं किया किया वो मल्टी ब्रांड रिटेल व्यापार भी करेगा वो भी बिना सरकार की अनुमति के। भारत के रिटेल व्यापार पर कब्जा करने तथा छोटे व्यापारियों के व्यापार को हड़पने के लिए अमेजन ने एक तरीके से सरकार एवं अन्य सरकारी संस्थानों को धोखा दिया है। भारत के व्यापारी अमेजन द्वारा उनके व्यापार को नष्ट किये जाने को लेकर बेहद चिंतित हैं क्योंकि अमेजन उनका व्यापार नष्ट करने पर तुला है और इसीलिए अमेजन हर रास्ता अपना कर भारत के रिटेल कारोबार पर अपना कब्जा जमाने के लिए कुछ भी अधिकृत अथवा अनधिकृत रास्ता अपना कर मनमानी व्यापारिक गतिविधियां कर रहा है। यह तो फ्यूचर समूह और अमेजॅन के बीच लड़ाई है जिसके चलते अमेजॅन द्वारा सिंगापुर में स्तिथिआर्बिट्रेशन पैनल में जिरह के दौरान अमेजन ने इस बात को स्वीकार किया की वो फ्यूचर रिटेल जो की एक मल्टी ब्रांड रिटेल कम्पनी है का उपयोग करेगा। के द्वारा मल्टीब्रांड रिटेल में अपना कब्जा जमायेगा।
पारवानी ने कहा कि अमेजॅन के बेईमान खेल को समझने के लिए, हमें फ्यूचर ग्रुप और अमेजॅन के बीच हाल ही में हुई एक डील में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने के लिए अमेजन के द्वारा की गई साजिश के विवरण में जाना होगा। फ्यूचर रिटेल के साथ एक समझौते में अमेजॅन ने फ्यूचर कूपन्स (पी) लिमिटेड के 49: शेयर का अधिग्रहण किया। जो फ्यूचर रिटेल लिमिटेड का नियंत्रण प्राधिकारी है और एक सूचीबद्ध कंपनी है और देश भर में 1600 से अधिक रिटेल स्टोर हैं। 12 अगस्त, 2019 को, एफसीएल एवं एफआरएल दोनों ने एक शेयरधारक समझौते को अंजाम दिया, जिसने फ्यूचर सौपें को कुछ ष्विशेष अधिकारष् प्रदान किए। किसी भी महत्वपूर्ण सामग्री निर्णय के लिए एफसीएल की स्वीकृति और किसी भी सामग्री निर्णय लेने के लिए प्रमोटरों को प्रतिबंधित करना इसमें शामिल है। समझौते का औचित्य 22 अगस्त, 2019 को स्पष्ट हो गया जब एफआरएल ने स्टॉक एक्सचेंज को अमेजॅन के साथ अपने समझौते के बारे में खुलासा किया, जिसमें अमेजॅन एफसीएल की 49: हिस्सेदारी खरीदेगा, यह खुलासा नहीं किया गया था कि एफसीएल के सभी अधिकार भी अमेजन को सौंप दिए गए थे। इस समझौते के आधार पर अमेजन ने एफआरएल पर भी अपना नियंत्रण हासिल कर लिया। यह तथ्य कि भारत में विशेष रूप से ईडी और सेबी किसी भी नियामक को इसकी जानकारी नहीं दी गई।
उन्होंने आगे कहा कि अमेजॅन एफआरएल में शेयरधारक नहीं था, इसलिए इस तरह के प्रतिबंध का एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि अमेजॅन का एफआरएल पर नियंत्रण है और समझौते की इस शर्त को पूरा करने के लिए एफसीएल ने अपने आर्टिकल आॅफ एसोसिएशन में परिवर्तन भी किया। इस समझौते ने अमेजन को एफसीएल की ओर से कार्य करने के लिए एक सम्पूर्ण पावर आॅफ अटॉर्नी भी दी गई।
अमेजॅन का निवेश (एफसीएल के माध्यम से) फेमा 1999 अधिनियम की धारा 13 का उल्लंघन है। यह फेमा के नियम 23 के स्पष्टीकरण (डी) का भी उल्लंघन करता है, फेमा के अनुसूची -1 के तहत निर्धारित प्रवेश मार्ग का उल्लंघन करता है, अनुसूची -1 के खंड 15.4 का भी यह स्पष्ट उल्लंघन है। यह एफडीआई नीति के प्रेस नोट नंबर 2 के तहत निर्धारित शर्तों का भी घोर उल्लंघन करता है। अमेजन द्वारा फेमा का ऐसा उल्लंघन फेमा अधिनियम की धारा 13 में निर्दिष्ट जुमार्ना लगाने के लिए एक प्रमाणित मामला है जिसके अनुसार मौद्रिक जुमार्ना उल्लंघन में शामिल राशि का तीन गुना तक है जिसका अर्थ है कि अमेजन 1 लाख 20,000 करोड़ रुपये के मौद्रिक दंड के लिए उत्तरदायी है। इसके अतिरिक्त, प्रवर्तन निदेशालय यह निर्देश दे सकता है कि ष्किसी भी मुद्रा, सुरक्षा या अन्य धन या संपत्ति जिसके संबंध में उल्लंघन हुआ हैष् केंद्र सरकार जब्त कर सकती है। अंत में, सिंगापुर आर्बिट्रेटर द्वारा पारित अंतरिम पुरस्कार ने कथित तौर पर यह स्थापित किया है कि अमेजॅन के स्वयं के प्रवेश पर भी, इसका पूरा निवेश एफआरएल में अपने विशिष्ट नियंत्रण अधिकारों की ओर है।
पारवानी ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से तत्काल कार्रवाई की मांग की। इस मुद्दे पर सरकार के कानूनों और नियमों में व्यापारियों का विश्वास बहाल करने के लिए कैट ने संबंधित अधिनियम और नियमों के तहत आरबी आई ई, सेबी और प्रवर्तन निदेशालय से अमेजॅन के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने की भी मांग की है। कैट को भारत के छोटे व्यवसायों को मारने के लिए किसी भी कम्पनी को कोई आजादी दी की अनुमति नहीं दी और यदि आवश्यकता होती है, तो हम न्याय के अंत को पूरा करने के लिए सड़कों पर जाने या कानून की अदालत में जाने में संकोच नहीं करेंगे।